-: Barkha Rani :-
अक्षय चवरे के आमंत्रण पर आयोजित ग़ज़लांजलि साहित्यिक संस्था की काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. श्रीकृष्ण जोशी ने की। विशेष अतिथि डॉ. शिव चौरसिया एवं श्रीमती रश्मि मोयदे रहीं। डॉ. आर. पी. तिवारी ने काव्य पाठ प्रारम्भ करते हुए स्वर्णिम यह स्वातंत्र्य हमारा वीरों की कुर्बानी से, गये फिरंगी थे कर मलते मुक्ति मिली मनमानी से कविता पढ़ी वहीं अवधेश वर्मा नीर ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर अनुसार कविता भगवान् कृष्ण जन्मे नन्दलाल भवन गोकुल में मोहक भोर हुआ, मातु यशोदा जी झूम उठी थीं साँवले मनोहर का शोर हुआ।
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डॉ. अखिलेश चौरे ने ग़ज़ल दुश्मनों पर भी कुछ नज़र रखिये अपने वालों की भी ख़बर रखी पढ़ी। आज की गोष्ठी में विशेष उपस्थित रहे तरुण उपाध्याय ने जननी के सम्मान में कविता जिसने जन्मने वाले की कदर नहीं की, वह रिश्तों की अहमियत नहीं समझ सकता है पढ़ी। शायर व्ही.एस. गहलोत साकित ने चला जब ज़िक्रे गुलशन हमको दिल के ख़ार याद आये चली जब बात जुल्मों की तो ग़मख्वार याद आये ग़ज़ल सुनाई।
दिलीप जैन ने वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से बिगड़ रहे पर्यावरण पर हम उड़ने को पर माँगते हैं, पंछी बसने को शजर माँगते हैं कविता पढ़ी। अशोक रक्ताले ने ग़ज़ल वक़्त की बलिहारी हमने देख ली है आज तो, इक भिखारी सूट पहने कार लेकर आ गया पढ़कर सभी श्रोताओं को गुदगुदाया। रामदास समर्थ ने मैं हूँ जीवन शीर्षक से मेरी अपनी कहानी शब्दों की जुबानी पढ़ी। रश्मि मोयदे ने वर्षा ऋतु प्यारी जाए वारी रिमझिम बरसे सुखद लगे गीत सुनाया।
शिव का ताण्डव आखिर क्यों आकलन करें हम सब कविता सत्यनारायण सत्येन्द्र ने पढ़ी तो डॉ. विजय सुखवानी ने दूध को दूध पानी को पाने बताता है आईना हमेशा सच्ची कहानी बताता है ग़ज़ल पढ़ी। विशिष्ट अतिथि डॉ. शिव चौरसिया ने मालवी कविता क्यों रूठी तू बरखा रानी हलातोल है सब तरफ अब कैसी या थारी मनमानी सुनाई। आतिथेयी कवि अक्षय चवरे ने कुञ्ज कुञ्ज डोल उठे पंछी भी डोल उठे, बज उठी है बाँसुरी थम गई है साँस री गीत सुनाया। कार्यक्रम में प्रभाकर शर्मा आदि ने भी काव्यपाठ किया। गोष्ठी का समापन अक्षय चवरे के अभिनन्दन से हुआ।