-: डिजिटल दुनिया में बचपन :-
आज के आधुनिक युग के बच्चो का बचपन छीनने वाले हम ही हे और हमारी लालसाए हे ! हमने ही आधुनिकता के जिन उपकरणों को सुख सुविधा का साधन मानकर अपने स्टेट्स को बढाने के लिए घरो में लाये थे उनके अन्दर की विलासिता और नग्नता को देखकर घर के अन्दर केद बाल मन देख कर कच्ची उम्र में ही शेने शेने कामुक होता गया और हम बच्चे को टेडी बियर ही समझने की भूल करते रह गये ।
जब यही बच्चा बचपन को लांघकर पिंजरों से जब बाहर आया तो कामुकता की चाह में नशे का आदि होकर रह गया ! आज की अधिकांश आधुनिक पीढी के बच्चे कामुकता का शिकार होकर मदहोशी के नशे में गिरफ्त होते जा रहे हे ! आज के बच्चो में वह बचपना नजर आता ही नही हे कि जिसमे बरबस वात्सल्य फुट जाये ! आज के बच्चे इतने जिद्दी चिडचिडे स्वभाव वाले हो गये कि न उन्हें घर अपने ही घर वालो का कहा पसंद नही आता हे ।
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आज के आधुनिक बच्चो की रोटी की भूख खत्म सी हो गई हे उनकी नींद का क्रम बिलकुल विपरीत हो गया हे! आज के बच्चो का व्यवहार में इस कदर परिवर्तन आ गया हे कि घर में दो आखो की शर्म भी अब खत्म सी होने लगी हे ! जिस उम्र में बच्चो को बेफिक्र होना चाहिए आज उसी उम्र में बच्चे सबसे ज्यादा तनाव ग्रस्त नजर आते हे और अवसाद में आकर कुछ बच्चे ऐसा कदम भी उठा लेते हे जिसमे घर वाले सर्फ अफ़सोस भर करते नजर आते हे ।
डिजीटल क्रांति के इस युग में आज की स्मार्ट पीढी के बच्चे कच्ची उम्र में स्मार्ट फोन पर विभिन्न रूपों से परोसने वाली नग्नता को देखकर कच्ची उम्र में ही कामुकता के शिकार बड़ी तेजी से आज देश में होते जा रहे हे ! कच्ची उम्र में बच्चो का कामुकता का शिकार होना न केवल घर वालो के लिए न समाज के लिए बल्कि समूचे देश के लिए एक बेहद ही गम्भीर चिंतन का विषय बन गया हे ।
समूचे समाज को इस और भी चिंतन करना होगा कि जब घरो में बच्चो के लिए कही ताले नही लगे होते हे तो फिर बिलास भर के स्मार्ट फोन में ताले क्यों लग जाते हे ? घर में या कही भी फोन पे ताला लगा हुआ होना शंका को जन्म देता हे और बच्चो के मामले में तो फोन में लाक पेटर्न का क्या काम हे ? लेकिन आज बड़ो से ज्यादा कच्ची उम्र के बच्चो के ज्यादा सीक्रेट पेटर्न होना संदेह को सच करता हे ।
आज जरा जरा से बच्चो के पास फोन या स्मार्ट फोन आसानी से देखे जा सकते हे आप कितने भी शातिर हे लेकिन आप बच्चो के फोन का पेटर्न लाक नही खोल सकते क्युकि आज का स्मार्ट बच्चा हमारी सोच से कही आगे की सोचता हे ।
बच्चो को कच्ची उम्र में कामुकता के शिकार होने से बचाना हे तो सरकार के साथ साथ सभी समाज को भी खुद कड़े कदम उठाकर ईमानदारी से पालन करके नग्नता परोसने वाले स्मार्ट और डिजिटल प्लेट फार्मो से अपने बच्चो को किसी भी सूरत में बचाना होगा और लोहे के पिंजरों की केद से मुक्ति देकर बच्चो को खुले मैदान में बचपन को जीने की आज़ादी देना होगी तभी हम बच्चो का बचपन सही मायनो में जिन्दा रख पायेगे अन्यथा आधुनिक स्मार्ट पीढी के बच्चे लोहे के पिंजरों में केद होकर कच्ची उम्र में कामुकता का शिकार होते जायेगे ।